शैक्षणिक नियम
- सत्र की शुरूआत प्रत्येक वर्ष 15 जुलाई से होगी, तथा कम से कम 200 दिन का शिक्षण कार्य होगा।
- पहले सप्ताह में छात्र/छात्रओं को डी0एड0 कार्यक्रम से परिचित कराया जाएगा। इस दौरान शिक्षक/शिक्षिकाएं उन्हें विभिन्न विषयों, शिक्षण-अभ्यास इत्यादि की संक्षिप्त जानकारी देंगे। कोशिश यह होनी चाहिए कि छात्र/छात्राएं डी0एड0 कार्यक्रम के विभिन्न विषयों और गतिविधियों की प्रक्रिया व प्रकृति समझ सकें। इस सप्ताह में छात्र/छात्राएं संस्था से परिचित होंगे व उसके साफ सफाई में हिस्सा लेने के महत्त्व को समझेंगे।
- जुलाई के चौथे सप्ताह से अगस्त तक छात्र प्रत्येक सप्ताह छः दिन डायट में रहेंगे।
- सितम्बर से नवम्बर तक प्रत्येक सप्ताह चार दिन स्थानीय स्कूल में शिक्षण अभ्यास के लिए और दो दिन डायट/पी0टी0ई0सी0/सम्बद्ध संस्थान में रहेंगे।
- दिसम्बर में विद्यार्थी प्रत्येक सप्ताह छह दिन डायट/पी0टी0ई0सी0/सम्बद्ध संस्थान में रहेंगे।
- विद्यार्थी जनवरी से फरवरी तक प्रत्येक सप्ताह चार दिन स्थानीय स्कूल में और दो दिन डायट/पी0टी0ई0सी0/सम्बद्ध संस्थान में रहेंगे।
- 1 मार्च से 25 अप्रैल तक छात्र/छात्राएं सप्ताह में 6 दिन डायट में रहेंगे।
- 26 अप्रैल से सेंटर मई तक परीक्षाओं की तैयारी के लिए अकादमिक अवकाश होगा और 11 मई से वार्षिक परीक्षा शुरू होगी।
- सत्र समाप्ति परीक्षा प्रथम एवं द्वितीय वर्ष के लिए अलग-अलग होंगी। कोशिश यह होनी चाहिए कि प्रथम वर्ष व द्वितीय वर्ष की परिक्षाएं 11 मई से 31 मई के बीच पूरी हो जाएं।
- पहले सत्र की परीक्षा का परिणाम चाहे जब आये छात्रों को द्वितीय वर्ष में अन्तरिम प्रवेश दिया जायेगा तथा द्वितीय वर्ष के सत्र की शुरूआत पुनः जुलाई से होगी।
- प्रत्येक अलग-अलग पर्चे में पास होना होगा।
- पास होने के लिए प्रत्येक पर्चे का औसत अंक 50% होगा, सैद्धान्तिक पर्चे में 40% तथा आन्तरिक मूल्यांकन में 45%
- प्रत्येक सैद्धान्तिक पर्चों के लिए साल भर में न्यूनतम 50 घंटे की पढ़ाई होगी यानी प्रत्येक सैद्धान्तिक पर्चे के लिए कम से कम 50 मिनट के 60 पीरियड होंगे।
- विद्यार्थी प्रतिवर्ष कम से कम 40 दिन स्कूल जायेंगे। विद्यार्थी तथा पर्यवेक्षक पूरे स्कूली समय के दौरन स्कूल में ही रहेंगे और स्कूल की विभिन्न प्रक्रियाओं में हिस्सा लेंगे।
- कार्य अभ्यास के लिए साल भर में 100 घंटे यानी 120 पीरियड हों। इनका बंटवारा डायट के शिक्षक इस प्रकार करें कि चारों कार्य अभ्यास को उपयुक्त समय मिल सके।
- विभिन्न पत्रों के अंत में जो प्रस्तावित कार्य सुझाये गये हैं वे बाध्यकारी नहीं हैं बल्कि शिक्षक-प्रशिक्षको की सहायता मात्र के लिए हैं। शिक्षक-प्रशिक्षक स्थानीय जरूरत के मुताबिक इस संदर्भ में नये सृजनात्मक कार्यो की रचना स्वंय करें तथा इसे शिक्षार्थियों को करने को कहें।
नोट: यदि सत्र 15 जुलाई के बदले किसी अन्य तिथि को शुरू किया जाता है तब भी उक्त वर्णित कार्य परिवर्तित तिथियों पर अवश्य किए जायेंगे।